top of page

India Pinkfest

इंडिया पिंकफेस्ट : साहित्यिक धड़कन, संस्कृति, समुदाय और रचनात्मकता का उत्सव

  • indiapinkfest
  • Sep 3
  • 5 min read

Updated: Sep 4

ree

भारत त्योहारों की धरती है, जहां इसकी समृद्ध विरासत, विविध संस्कृति और कलात्मक प्रतिभा का उत्सव मनाया जाता है। इन्हीं उत्सवों में इंडिया पिंकफेस्ट एक अनोखा संगम है—संस्कृति, समुदाय और रचनात्मकता का। यह महज एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक समावेशी और अनुभवात्मक उत्सव है, जो कहानियों, कला और मानवीय जुड़ाव की शक्ति के माध्यम से पीढ़ियों और भौगोलिक सीमाओं को जोड़ता है।


इंडिया पिंकफेस्ट - एक साहित्यिक धड़कन: ऑथर्स कार्नर जहां शब्द साँस लेते हैं और कहानियाँ जीवंत हो उठती हैं, जहाँ ख़ामोशी बोलना सीखती है।


INDIA PINKFEST – A Literary Heartbeat: The Authors’ Corner, where words breathe, stories come alive, and silence learns to speak.

इंडिया पिंकफेस्ट की आत्मा में बस्ती है ऑथर्स कार्नर — भारतीय साहित्य प्रेमियों के लिए समर्पित प्लेटफॉर्म। यह खंड एक जीवंत पुस्तकालय में बदल जाता है, जहां शब्द साँस लेते हैं और कहानियाँ जीवंत हो उठती हैं। यहाँ प्रसिद्ध और नवोदित लेखक एकत्र होते हैं—पैनल चर्चा, पुस्तक पाठ, संवाद सत्र और सहज बातचीत के माध्यम से वे सीधे अपने पाठकों से जुड़ते हैं।


रवीन्द्रनाथ टैगोर और अमृता प्रीतम की कालजयी कविताओं से लेकर अमृता शेरगिल , नन्दलाल बोस, जेमिनी राय, तैयब मेहता, अरुंधति रॉय, चेतन भगत, पेरूमल मुरुगन, मीनाक्षी कंदासामी और अनुजा चौहान जैसे समकालीन स्वर तक—लेखकों का कोना भारतीय साहित्य की भाषाई और विषयगत यात्रा को श्रद्धांजलि देता है।


यहाँ विशेष सत्रों में क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्य, नारीवादी दृष्टिकोणों, प्रवासी भारतीयों की आवाज़ों और अनुवादों को समर्पित किया जाता है—जो भारत की भाषाई विविधता और उसकी जीवंत अनुभवों की बहुलता को उजागर करते हैं।


स्वरों का उत्सव


इंडिया पिंकफेस्ट की मूल भावना है—उन स्वरों का उत्सव जो सुने जाने के योग्य हैं। ऐसे स्वर जो प्रेरित करते हैं, प्रश्न उठाते हैं और मनोबल बढ़ाते हैं। यह त्योहार इस बात को स्वीकार करता है कि साहित्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक टिप्पणी, पहचान की अभिव्यक्ति और समुदाय निर्माण का एक सशक्त माध्यम है। यह एक ऐसा उत्सव है जो हमें एक देश के रूप में परिभाषित करता है: एक ऐसा देश जो कहानियाँ सुनाता है, सपने देखता है, अपने सांस्कृतिक वैभव पर गर्व करता हैं और उन्हें सहेजने की राह बनाता है।


हाशिए पर रहे स्वरों से लेकर प्रतिष्ठित हस्तियों तक, हर कथा को इस उत्सव में स्थान और गरिमा मिलती है। इसी दृष्टिकोण के साथ इंडिया पिंकफेस्ट न केवल भारत की साहित्यिक विरासत को संजोता है, बल्कि रचनात्मक अभिव्यक्ति की सीमाओं को भी निरंतर आगे बढ़ाता है।


छोटी काशी बनी साहित्य का कुम्भ


पिंकफेस्ट साहित्य संवाद सत्रों में पुस्तक चर्चा व् पुस्तक लोकार्पण विशेष आकर्षण का केंद्र रहे । इस दौरान कई चर्चित लेखकों की पुस्तक पर लोकार्पण व विमर्श किया गया , पिंकफेस्ट संवाद सत्र ऑथर्स कार्नर के कोर्डिनेटर माया मृग (बोधि प्रकाशन) के अनुसार आयोजि विभिन्न सत्रों में जिसमें लेखक मधु सक्सेना की रचना चुटकी भर, लेखक मनीष पारीक की रचना मिलूंगा तुम्हें, लेखक प्रेम शर्मा की रचना रावनखंडी, लेखक आनंद कश्यप की रचना नीले धुले आयाम, लेखक नरेश गुर्जर की रचना उस पार की उदासी, लेखक डॉ उषा दशोरा की पुस्तक हीरापुर मोक्षधाम, लेखक आभा नेवस्कर की पुस्तक चीटियां झूठ नहीं बोलती, लेखक पल्लवी विनोद की पुस्तक परिधि से बाहर, लेखक पल्लवी गर्ग की पुस्तक मेरे शब्दों में छुपकर मुस्कुराते हो तुम, लेखक मुरारी गुप्ता की पुस्तक सुगंधा एक सिने सुंदरी की त्रासद कथा सहित कई युवा लेखकों की रचनाओं का लोकार्पण किया गया।



तीन दिवसीय इस आयोजन में कथा रचनाकारों के चर्चित पुस्तकों पर विमर्श के साथ साथ साहित्य संवाद सत्र जिनमें साहित्य एवं पत्रकारिता जन सरोकार, वंचित वर्ग की आवाज, हिंदी कथा साहित्य , स्त्री दृष्टि, परी संवाद लघु पत्रिकाओं का भविष्य विशेष आकर्षण का केंद्र रही। इस मौके पर प्रदेशभर के कला साहित्यप्रेमियों ने सहभागिता निभाई। तीन दिवसीय इस कला साहित्य कुंभ में देश और प्रदेश के जाने-माने हिंदी लेखक रचनाकार व साहित्यकारों में प्रमुख आनंद कश्यप, बनज कुमार बनज, देवाराम गुर्जर, हरीश करमचंदानी, डॉक्टर आनंद भटनागर, टीकमचंद बोहरा अनजाना, वीणा करमचंदानी, कल्पना गोयल, नरेश गुर्जर, मनीष पारीक, विजय रही, डॉ शारदा कृष्णा, IAS डॉ जितेंद्र कुमार सोनी, डॉ जगदीश गिरी, डॉक्टर सत्यनारायण सोनी, डॉक्टर रेवत दान, डॉक्टर हेतु भारद्वाज, डॉ दुर्गा प्रसाद अग्रवाल, अरविंद कुमारसम्भव, लेखक उमा नवल, किशोर शर्मा, डॉक्टर जय श्री शर्मा, प्रमोद गोविंद, कविता मुख। कृष्ण कल्पित, संतोष कुमार द्विवेदी, मृदुलाल शुक्ला, राजाराम भादू, लेखक शिवानी, डॉक्टर कृष्ण कुमार आशू , डॉ विशाल विक्रम सिंह, हितेश व्यास, डॉक्टर उषा दसोरा, रेखा श्री खराड़ी, रतन कुमार संभरिया, चरण सिंह पथिक, फारूक अफरीदी, डॉ विशाल विक्रम सिंह, हरिराम मीणा, विक्रांत सिंह, जयदेव सिंह, त्रिभुवन, आनंद चौधरी, अमित शर्मा, डॉ लक्ष्मी शर्मा, निधि अग्रवाल, मनीषा कुलश्रेष्ठ, तस्नीम सिद्दीकी, प्रेमचंद गांधी, गोविंद माथुर, माया मृग सहित कई बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।


सत्र के दौरान आयोजित कविता पाठ में कैलाश मनोहर, दीपा गुप्त, कन्हैयालाल भ्रमण, महेश सोलंकी, रेनू जुनेजा, विजय पोटर, पल्लवी गर्ग, नगेंद्र बाला बारेठ, जीनस डॉ निधि अग्रवाल, मनमीत श्याम शर्मा, उर्मिला करनाल, अमरदीप सिंह, सुशीला सील स्वयं सिद्ध, नेहा पारेख, मणिमला सरकार, श्रीवास्तव फलक दायमा, दर्शन कंवर, चंचल शर्मा, शर्मिला शर्मा, शुभ्रा, ममता जाट मुंजल, सावित्री गौतम, डॉक्टर शिप्रा नथनी, रेनू शर्मा, शब्द मुखर, मीनाक्षी पारेख, और सूर्य प्रकाश उपाध्याय सहित कई कवियों ने अपनी कविता पाठ कर दर्शकों को आह्लादित किया। साथ ही युवा रचनाकारों के लिए लेखन कला पर आयोजित वर्कशॉप विशेष आकर्षण आकर्षण का केंद्र रही, वही वाक्य विन्यास, लेखन शैलियों पर भावी रचनाकारों को अवगत करवाया गया। यह प्लेटफार्म देश के युवा लेखक,रचनाकार, साहित्यकारों के लिए अग्रणी भूमिका निभाएगी।


विशेष आकर्षण: एनजीएमए प्रकाशन प्रदर्शनी – सांस्कृतिक खजाने की झलक


इस उत्सव का एक प्रमुख आकर्षण थी भारतीय सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा संचालित नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट (NGMA) द्वारा प्रस्तुत प्रकाशन स्टॉल, जो कला, साहित्य और विरासत का एक दुर्लभ और समृद्ध संगम प्रस्तुत करता है। एनजीएमए के प्रकाशन अपनी उत्कृष्ट डिज़ाइन, सूझबूझ भरी व्याख्या और संग्रहणीय महत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं—जिनमें प्रदर्शनी कैटलॉग, कलाकारों की जीवनी, आधुनिक भारतीय कला पर निबंध, और सांस्कृतिक इतिहास की प्रतिष्ठित हस्तियों पर लेख शामिल हैं।


यह स्टॉल कला प्रेमियों, शोधकर्ताओं और संग्रहकर्ताओं को भारत की दृश्य संस्कृति से साहित्यिक दृष्टिकोण के माध्यम से जुड़ने का अद्वितीय माध्यम बना जो साहित्य व् कला प्रेमियों के लिए अभिनव प्रयोग था । चाहे आप केवल मनोरंजन हेतु ब्राउज़ कर रहे हों या गंभीर शोध कर रहे हों, यह स्टॉल आपको बौद्धिक रूप से प्रेरणादायक और खूबसूरती से क्यूरेट की गई कला-साहित्य तक पहुंच प्रदान करता है—जो सामान्यत: मुख्यधारा की पुस्तकों में उपलब्ध नहीं होती।

इंडिया पिंकफेस्ट केवल एक साहित्यिक या सांस्कृतिक आयोजन नहीं है—यह एक ऐसा उत्सव है जो हमें एक देश के रूप में परिभाषित करता है: एक ऐसा देश जो कहानियाँ सुनाता है, सपने देखता है, अपने सांस्कृतिक वैभव पर गर्व करता हैं और उन्हें सहेजने की राह बनाता है। अपने समर्पित ऑथर्स कॉर्नर और प्रतिष्ठित प्रकाशकों की प्रस्तुतियों के साथ, यह उत्सव भारत की साहित्यिक समृद्धि को सम्मानित करने और नई पीढ़ी के लेखकों व पाठकों को प्रेरित करने के लिए एक अमूल्य मंच प्रदान करता है।


चाहे आप सुनने आए हों, सीखने आए हों, या भीतर से कुछ महसूस करने—इंडिया पिंकफेस्ट कल्पना, बौद्धिकता और पहचान की भूमि पर एक अविस्मरणीय यात्रा का वादा करता है।














 
 
 

1 Comment

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
Guest
Sep 03
Rated 5 out of 5 stars.

What an inspiring and empowering space! The Pinkfest Authors' Corner beautifully showcases diverse voices and powerful stories that resonate deeply. It's amazing to see such talent and creativity gathered in one place. Kudos to the organizers and authors for creating a platform that celebrates literature, identity, and community!

Edited
Like
bottom of page